An Engineer and The Old Man | इंजीनियर और बुजुर्ग रिटायर्ड व्यक्ति

दो अलग-अलग मकानों में, जिन्हें एक कंपाउंड विभाजित करता था, दो लोग रहते थे। एक में एक रिटायर्ड व्यक्ति और दूसरे में एक तकनीकी।

उन्होंने कंपाउंड की दोनों तरफ एक जैसे पौधे लगाए थे।

इंजीनियर अपने पौधे को बहुत सारा पानी और खाद देता था। वहीं, रिटायर्ड व्यक्ति अपने पौधे को केवल थोड़ा-सा पानी और थोड़ी-सी खाद देता था।

इंजीनियर का पौधा हरा-भरा, घना और मजबूत बन गया।

रिटायर्ड व्यक्ति का पौधा सामान्य दिखता था लेकिन अपने पड़ोसी के पौधे की तुलना में अधिक सुदृढ़ था।

एक रात तेज बारिश और झोंकों के साथ तेज हवा चली।

अगली सुबह दोनों बाहर आए यह देखने के लिए कि उनके पौधों का क्या हाल हुआ।
तकनीकी व्यक्ति ने देखा कि उसका पौधा उखड़ गया था, जबकि उसके पड़ोसी का पौधा बिना किसी नुकसान के खड़ा था।

इंजीनियर  व्यक्ति ने रिटायर्ड व्यक्ति से पूछा,

“मेरे पौधे को इतनी अच्छी देखभाल देने के बावजूद यह क्यों उखड़ गया, जबकि आपने अपने पौधे की मुश्किल से देखभाल की और फिर भी वह सुरक्षित है?”

रिटायर्ड व्यक्ति का जवाब हम सभी के लिए एक सबक है।
“देखो, जवान आदमी, तुमने अपने पौधे को जरूरत की हर चीज प्रचुर मात्रा में दी। पौधे को कभी अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ा।

इससे उसकी जड़ें जमीन में गहराई तक नहीं गईं।

मैंने अपने पौधे को केवल इतना दिया, जितना उसे जिंदा रहने के लिए जरूरी था। बाकी जरूरतें पूरी करने के लिए उसकी जड़ें जमीन में गहराई तक गईं। तुम्हारे पौधे की जड़ें सतही थीं, इसलिए बारिश और हवा ने उसे आसानी से उखाड़ दिया।
जबकि मेरे पौधे की जड़ें काफी गहरी थीं, इसलिए वह प्रकृति के प्रहार को सहन कर सका।”

यही बात बच्चों पर भी लागू होती है।

 

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